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दिल्ली में प्रदर्शन के लिए जा रहे सोनम वांगचुक पुलिस हिरासत में

दिल्ली के कई स्थानों पर Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS) की धारा 163 लागू होने के बाद पुलिस ने देर रात सिंघु बॉर्डर पर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया. यह जानकारी खुद वांगचुक ने एक्स पोस्ट के माध्यम से दी. उन्होंने लिखा-हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि तक शांतिपूर्ण मार्च पर जा रहे थे, लेकिन दिल्ली सीमा पर मुझे 150 पदयात्रियों के साथ हिरासत में लिया जा रहा है. इनमें कई बुजुर्ग पुरुष, महिलाएं और पूर्व सैनिक भी शामिल हैं.

लद्दाख की मांगों के लिए संघर्ष
दरअसल अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था. वांगचुक और अन्य स्वयंसेवक चाहते हैं कि उनकी मांगों के संबंध में केंद्र सरकार लद्दाख नेतृत्व के साथ बातचीत फिर से शुरू करे और इसीलिए उन्होंने 1 सितंबर को लगभग 75 स्वयंसेवकों के साथ लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू किया था.

सरकार ने पांच साल पहले जो वादा किया, उसे पूरा करे
उनकी प्रमुख मांगों में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, स्थानीय आबादी को उनकी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्तियां प्रदान करना शामिल है. वांगचुक ने कहा कि वे सरकार को पांच साल पहले किए गए वादे को पूरा करने की याद दिलाने के लिए आए हैं. 

लद्दाख के लिए विशेष अधिकारों की मांग
वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और उसे भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की वकालत कर रहे हैं, जो आदिवासी समुदायों को विशेष अधिकार प्रदान करता है. साथ ही लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा प्रदान करता है. पैदल यात्रा से पहले सोनम वांगचुक ने लेह में नौ दिन का उपवास पूरा किया था. इसके पीछे उनका मकसद लद्दाख की नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के महत्व पर अधिकारियों का ध्यान दिलाना था.

BNS की धारा 163 लागू
BNS की धारा 163 लागू होने के बाद पांच या उससे अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते. इसके अलावा जनसभा, नुक्कड़ सभा, जुलूस या बिना अनुमति प्रदर्शन की मनाही है. इससे पहले ये प्रावधान धारा 144 के अंतर्गत आते थे. 
 

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