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खुदरा महंगाई में तेज उछाल की संभावना, EMI पर राहत के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है…

खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में लगातार उछाल के चलते अक्टूबर के दौरान खुदरा महंगाई में जोरदार उछाल आने की आशंका है।

विशेषज्ञों ने इसके छह फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान जताया है, जो इसका 14 माह का उच्चस्तर होगा। इसकी बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों का आसमान पर पहुंचना है।

बढ़ती महंगाई का असर मासिक किस्त पर भी पड़ सकता है, क्योंकि आरबीआई रेपो रेट में कटौती का फैसला लंबे वक्त के लिए टाल सकता है। खुदरा महंगाई के आंकड़े मंगलवार को जारी होंगे।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर में बढ़कर 6.15 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है।

अगस्त 2023 के बाद यह इसका 14 महीने का उच्च स्तर होगा। उस समय खुदरा महंगाई 6.83 फीसदी रही थी, जबकि जुलाई, 2023 में बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी।

EMI पर राहत का इंतजार लंबा होगा

विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती महंगाई का असर मासिक किस्त पर भी पड़ सकता है क्योंकि आरबीआई रेपो दर में कटौती का फैसला लंबे वक्त के लिए टाल सकता है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि दिसंबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर में कोई कटौती नहीं होगी।

अगर महंगाई में तेज उतार-चढ़ाव जारी रहता है तो लोगों को ईएमआई में राहत के लिए अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक इंतजार करना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि आरबीआई ने रेपो दर को फरवरी 2023 से 6.5 फीसदी पर यथावत रखा हुआ है।

सितंबर में नौ माह का रिकॉर्ड तोड़ा था

खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा महंगाई सितंबर में भी बढ़कर नौ महीने के उच्च स्तर 5.49 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो पूर्वानुमान से बहुत ज्यादा थी जबकि अगस्त में यह 3.65 फीसदी रही थी। इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी अगस्त के 5.66 फीसदी से बढ़कर सितंबर में 9.24 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई थी। सबसे अधिक सब्जियों की महंगाई दर में उछाल आया था और 36 फीसदी पर पहुंच गई थी, जबकि अगस्त में यह 10.71 फीसदी पर रही थी।

टमाटर के दाम दोगुने से अधिक बढ़े

रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर के बाद अक्तूबर में भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल आया है। इसकी मुख्य वजह सब्जियां और खाद्य तेल हैं।

खासकर टमाटर के दाम दोगुने से अधिक बढ़े हैं। क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर में टमाटर की कीमतें एक साल पहले की समान अवधि के 29 रुपये से 120.68 फीसदी बढ़कर 64 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गई है।

वहीं, प्याज की कीमतें सालाना आधार पर 46 फीसदी बढ़ी हैं। आलू की कीमतों में 51 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी

इसके अलावा केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20% की बढ़ोतरी की है, जिससे महंगाई में इजाफा हुआ। खाद्य तेलों की महंगाई दर अगस्त में शून्य से नीचे (-0.86%) से थी, जो सितंबर में तेज उछाल के साथ 2.47 फीसदी पर पहुंच गई।

आरबीआई ने भी दिए थे संकेत

हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी के चलते महंगाई में उछाल के संकेत दिए थे। अभी खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के तय दायरे से काफी ऊपर बनी हुई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अक्तूबर में यह छह फीसदी से ऊपर निकलती है तो यह आरबीआई के सहनशीलता दायरे को भी पार कर जाएगी।

सरकार ने आरबीआई को दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ खुदरा महंगाई को चार फीसदी के दायरे में रखने का जिम्मा दिया हुआ है।

मौसम की महंगाई पर लगातार मार

1. भीषण गर्मी और असामान्य बारिश

2. कई राज्यों में फसलों को भारी नुकसान

3. आलू समेत प्रमुख सब्जियों का उत्पादन कम

4. दाल और फलों के उत्पादन पर भी असर

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