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शादी-समारोह से रैलियों तक सीसीटीवी अनिवार्य!

भोपाल। मप्र सरकार लोक सुरक्षा कानून लागू करने जा रही है, जिसके तहत शादी, रैलियों और सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। फुटेज दो महीने तक सुरक्षित रखना होगा। सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया गया है। नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने प्रदेश में लोक सुरक्षा कानून लागू करने की योजना बनाई है। इसके तहत सार्वजनिक स्थलों के साथ ही अब शादी-समारोह, रैलियों और धार्मिक आयोजनों स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। यह कदम बढ़ती जनसंख्या और सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। कानून का उल्लंघन करने पर आयोजकों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।

सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करने पर फोकस
मप्र सरकार जल्द ही लोक सुरक्षा कानून लागू करने जा रही है, जिसका उद्देश्य राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना है। इस कानून के तहत शादी, पार्टी, धार्मिक आयोजन, जुलूस या रैलियों में अब सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। यदि किसी सार्वजनिक जगह जैसे मॉल, अस्पताल, रेस्टारेंट में 100 से अधिक लोग शामिल होते हैं, तो वहां सीसीटीवी लगाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, सीसीटीवी फुटेज को कम से कम दो महीने तक सुरक्षित रखना होगा और पुलिस के मांगे जाने पर इसे उपलब्ध कराना होगा। यह कानून सार्वजनिक स्थानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों, कॉलेजों, मॉल्स, रेस्टोरेंट, अस्पतालों और धार्मिक, राजनीतिक आयोजनों तक को शामिल करेगा। आयोजकों को आयोजन स्थल पर सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने का खर्च वहन करना होगा। यदि किसी आयोजन में सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं, तो आयोजक पर जुर्माना लगाया जाएगा।

संगठित अपराधों की जांच में मिलेगी मदद
मप्र में बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण सुरक्षा की आवश्यकता बढ़ी है। इस कानून के जरिए राज्य सरकार ने इंदौर में पिछले तीन महीने से एक पायलट प्रोजेक्ट भी चलाया था, जिसे सफल माना जा रहा है। इसके तहत हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इस कानून के लागू होने से संगठित अपराधों की जांच में मदद मिलेगी और पुलिस को सहूलियत होगी। गौरतलब है कि साल 2012 में दिल्ली में निर्भया कांड के बाद जस्टिस उषा मेहरा आयोग ने सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश का पालन करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने इस कानून को तैयार किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कानून को शीघ्र लागू करने के लिए गृह विभाग को निर्देश दिए हैं।

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