राष्ट्रीय

केंद्र ने मणिपुर हिंसा पर जांच आयोग की समय बढ़ाई सीमा, 2025 तक सौंपनी होगी रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने मणिपुर में हिंसा मामलों की जांच कर रहे आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक बार फिर समय देते हुए 20 मई, 2025 तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। हिंसा में अब तक कम से कम 258 लोगों की मौत हो चुकी है। गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में चार जून, 2023 को जांच आयोग का गठन किया गया था।

आयोग में सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी और सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न समुदायों के सदस्यों को निशाना बनाकर की गई हिंसा और दंगों के संबंध में जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है। मणिपुर में तीन मई 2023 को हिंसा शुरू हुई थी। चार जून, 2023 को जारी अधिसूचना में कहा गया था कि आयोग को अपनी रिपोर्ट जितनी जल्दी हो सके केंद्र सरकार को सौंपनी होगी।

इससे पहले गृह मंत्रालय ने आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 20 नवंबर तक का समय दिया था।वहीं, मणिपुर के लीमाखोंग कैंप से 25 नवंबर को लापता हुए 56 साल के लैशराम को सेना और पुलिस के जवान मिलकर खोज रहे हैं। मणिपुर पुलिस ने बताया था कि लैशराम का पता लगाने के लिए वह हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और सेना के ट्रैकर कुत्तों की मदद ले रही है। इसके लिए टेक्नोलाजी का सहारा भी लिया जा रहा है। फिर भी व्यक्ति का कुछ पता नहीं लग रहा है।

अब मणिपुर हाई कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि 11 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर समिति न्यायालय के समक्ष एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसके साथ ही राज्य महिला आयोग (एमएससीडब्ल्यू) ने पिछले महीने जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं एवं तीन बच्चों की हत्या की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। अधिकारी ने बताया कि इस दल में आयोग की अध्यक्ष एवं दो सदस्य शामिल हैं।

मणिपुर सरकार ने इंफाल से पहाड़ी जिलों तक कड़ी सुरक्षा के बीच फिर से अंतर जिला सार्वजनिक वाहनों का संचालन करने का फैसला किया है। राज्य में 19 महीनों में सार्वजनिक परिवहन सेवा को फिर से शुरू करने की प्रशासन की यह दूसरी कोशिश होगी। यहां घाटी के प्रमुख मैतेयी समुदाय और चूड़चंद्रपुर तथा कुछ अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में प्रमुख कुकी जनजातियों के बीच झड़पें होती रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button