राष्ट्रीय

कांग्रेस कार्यसमिति ने डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान में पारित किया शोक प्रस्ताव

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर कांग्रेस कार्य समिति ने शनिवार को न सिर्फ एक शोक प्रस्ताव पारित कर उन्हें अपनी श्रद्धाजंलि दी, बल्कि देश के विकास में उनके अहम योगदान को भी याद किया।

समिति ने उन्हें देश के आर्थिक उदारीकरण का शिल्पकार बताते कहा कि अपनी दूरदर्शिता से उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारने में अहम भूमिका निभायी। आर्थिक सुधारों की शुरूआत उन्होंने अपने समय में ही की थी। वैश्विक बाजार के लिए देश के द्वार खोले। जिसका परिणाम यह है कि देश आज एक मजबूत आर्थिक ताकत बनकर दुनिया के सामने खड़ा है।

योगदान को आगे बढ़ाने का संकल्प
कार्यसमिति ने इस दौरान उनकी यादों को जिंदा रखने और उनके योगदान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। समिति ने कहा कि आर्थिक सुधार, सामाजिक न्याय व समावेशी विकास के क्षेत्र में किए गए उनके कार्य सदैव हमें प्रेरित करेंगे। उन्होंने ईमानदारी, परिश्रम और सहानुभूति के जो आदर्श स्थापित किए है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दीपस्तंभ बने रहेंगे। डॉ. सिंह का नेतृत्व और अर्थशास्त्र में उनका योगदान हमेशा जीवित रहेगा।

डॉक्टर सिंह कांग्रेस कार्यसमिति के भी लंबे समय तक सदस्य रहे। कार्य समिति ने पारित अपने शोक प्रस्ताव में कहा है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 13वें प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व शांति, दृढ़ संकल्प व असाधारण बुद्धिमत्ता के साथ किया। उनका कार्यकाल निरंतर आर्थिक वृद्धि, वैश्विक पहचान व सामाजिक प्रगति से चिह्नित था।

कई अहम फैसलों का जिक्र
उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान देश को बचाने के लिए अहम रणनीतिक उपाय किए। जिसका असर यह था देश उस संकट से बचकर निकला। उनके नेतृत्व में मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, ऐतिहासिक भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर डील, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून व सूचना का अधिकार जैसे कानूनों के जरिए देश को सशक्त बनाने की कोशिश की है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि राजनेता के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक सम्मानित शिक्षाविद् भी थे। उनकी अर्थशास्त्र की गहरी समझ और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने अनगिनत छात्रों, विद्वानों और नीति निर्माताओं को प्रेरित किया।

शालीनता को किया याद
समिति ने उनकी विनम्रता और शालीनता को भी याद किया और कहा कि उनका व्यवहार शांत, संतुलित और हमेशा ईमानदारी से प्रेरित था। यही नहीं, किस तरह गरिमा, विनम्रता किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के चरित्र का हिस्सा हो सकती है, वे इसका बड़ा उदाहरण थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button