अंतरराष्ट्रीय

नेतन्याहू और गैलेंट के गिरफ्तारी वारंट पर इजरायल की प्रतिक्रिया, ICC से करेगा अपील 

यरूशलम। इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) से झटका लगा था। कोर्ट ने इनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। इसी के बाद अब इजरायल ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) से कहा है कि वो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ अपील करेगा।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को इजरायल ने अस्वीकार कर दिया है। इसकी जानकारी पीएम नेतन्याहू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर दी है।

पीएम नेतन्याहू ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, इजरायल हेग में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के अधिकार और प्रधानमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री के खिलाफ जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट की वैधता से इनकार करता है। अगर आईसीसी ने अपील खारिज कर दी, तो अमेरिका और दुनियाभर में इजरायल के दोस्तों को यह समझ में आ जाएगा कि आईसीसी इजरायल के खिलाफ कितना पक्षपाती है।

रिर्पोट के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इजरायल ने गिरफ्तारी वारंट के निष्पादन में भी देरी करने का अनुरोध किया है, जो पिछले सप्ताह जारी किए गए थे।

आईसीसी ने नेतन्याहू-गैलेंट के खिलाफ जारी किया था गिरफ्तारी वारंट
हाल ही में, हेग में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने इस्राइली पीएम नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। आरोपों में गाजा में नागरिकों को निशाना बनाने और भुखमरी की नीतियां लागू करने के आरोप शामिल हैं।

इजरायल ने आईसीसी से की वारंट लागू करने में देरी की मांग
पीएम नेतन्याहू ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि इजरायल ने आईसीसी से अपील करने का फैसला किया है। साथ ही गिरफ्तारी वारंट को लागू करने में देरी की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि आईसीसी का वारंट निराधार है और इसके पीछे कोई ठोस तथ्य या कानूनी आधार नहीं है।

ICC ने क्या आरोप लगाया था?
रिर्पोट के मुताबिक, ICC ने पीएम नेतन्याहू और इजरायल के रक्षा मंत्री पर इजरायली सेना को फलस्तीनी नागरिकों को जानबूझ कर मारने का आदेश देने और गाजा में अंतराष्ट्रीय मानवीय मदद को पहुंचने से रोकने के मामले में दोषी पाया था, जिसकी वजह से गाजा के हालात बिगड़ते चले गए और वहां पर भुखमरी के हालात बने।

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