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अब ब्यूटी पार्लर और साड़ी सेंटर से 20 हजार रूपये महीना कमाती हैं पूनम…..

भोपाल : हालात कितने ही बदतर क्यूं न हों, जिंदगी अपना रास्ता खुद ढूंढ ही लेती है। जिंदगी की यही तासीर ही इसे और भी रुहानी (जानदार) बनाती है। जैसे तपते रेगिस्तान में भी कोई एक नन्हा सा बीज हालातों से लड़कर अंकुरित हो ही जाता है। बहरहाल, बेइंतेहा बेचारगी और बेबस जिंदगी से लाचार पूनम को कहीं भी ठौर न मिला, तो वे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के एक स्व-सहायता समूह से जुड़ गयीं। बस, यहीं से उसकी जिंदगी में उम्मीद का नया उजाला आने लगा। बुरे दिन फ़ना हुये और अच्छे दिनों की आमद हुई। नई ऊर्जा से सराबोर पूनम अब पूरी तरह स्वावलंबी हो गयी हैं।

बुरहानपुर जिले के संग्रामपुर गांव में रहने वाली किसान दीदी पूनम महाजन का जीवन एक समय कठिन दौर से गुज़र रहा था। खेती-किसानी में उसका मन न लगता। पर उसे कहीं कोई राह दिखाई नहीं दे रही थी। रोजाना की चुनौतियों से जूझते हुए भी, पूनम ने कभी हार नहीं मानी।

जब पूनम को कहीं कोई ठौर नहीं मिला, तो वे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बनाये गये एक स्व-सहायता समूह से जुड़ गयीं। समूह से जुड़ना उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। मिशन का उद्देश्य ग्रामीण लोगों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना था। अब पूनम को यहां जिंदगी की नई राह दिखने लगी।

पूनम बताती हैं कि समूह से जुड़ने से पहले वे खेती-किसानी करती थीं। अब सिलाई-कढ़ाई के साथ-साथ ब्यूटी पार्लर का भी काम करती हैं। इसके अलावा साड़ी सेंटर भी चलाती हैं। वे बताती हैं समूह से जुड़ने के बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। ग्राहक पहचान फाइल (सीआइएफ) के तहत उसने 10 हजार रूपये से सिलाई का काम शुरू किया। इससे उसकी आमदनी बढ़ने लगी। अब वे हर महीना लगभग 15 से 20 हजार रूपये तक कमा लेती हैं। वे कहती हैं कि महिलाओं को सशक्त, आत्म-निर्भर बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।   

अब पूनम न केवल अपने परिवार का ही भरण-पोषण कर रही हैं, वरन् पूंजी भी बचा रही हैं। पूनम का यह काम पूरे गांव के लिए प्रेरणास्रोत बन गया और पूनम की मेहनत और लगन ने उन्हें एक नया जीवन दे दिया है। पूनम के संघर्ष की कहानी बताती है कि हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, जिंदगी हमेशा नया रास्ता खोज लेती है।

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